Subscribe on Youtube

Thursday 9 May 2019

Sarojbhabhi Riding Activa with Me - सरोजभाभी के साथ एक्टिवा की सवारी

Sarojbhabhi Riding Activa with Me - सरोजभाभी के साथ एक्टिवा की सवारी 

Sarojbhabhi

     हेलो दोस्तो, कैसे हो आप सब लोग? आज मैं आप सब के लिए एक ओर स्टोरी लेके आया हूँ, जो मेरे साथ हुई सच्ची घटना पे आधारित है। दोस्तो मेरी आप सब से एक छोटी सी गुजारिश है कि अगर आपको यह स्टोरी पसंद आये तो कमेन्ट करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर कीजिये।

     आज से करिबन 12 साल पहले की बात है। जब सरोजभाभी शादी करके हमारे फ्लेट में आयी थी। तब मैं केवल 16 साल का था। सरोजभाभी दिखने में थोड़ी श्याम ओर मीडियम बॉडी थी। उनकी ऊंचाई करीबन 5'8" है। आज भी वह उतनी ही खूबसूरत दिखती है। जब वह शादी करके आयी थी तो उनको कुछ भी विहिकल चलना आता नही था। और आज के समय में सरोजभाभी एक्टिवा ओर बड़ी बड़ी गाड़ी भी बड़े आराम से चलना सिख गई है। मुजे याद है कि जब सरोजभाभी ने पहली बार एक्टिवा चलना शिख रही थी तब मैं बड़े उत्साह से उन्हें ही देखता रहता था। सरोजभाभी एक्टिवा चलाने की प्रैक्टिस दोपर में ही करती थी क्योंकि दोपर में ज्यादा ट्राफिक नही रहता है। जब जो एक्टिवा चलती थी तब मैं अपने घर की खिड़की से घंटो तक उन्हें ही देखता रहता था। धीरे धीरे प्रैक्टिस करते करते वो पूरी तरह से एक्टिवा चलना शिख गई थी। और आज के समय में सरोजभाभी ऐसे एक्टिवा चलती है जैसे किसी खिलोने से खेलती हो।

अब मैं उस वक़्त के बारे में बात करूँगा जब मैं पहली बार सरोजभाभी के पीछेे उनके एक्टिवा पे बैठा था।

     लगभग शाम का समय था, मैं अपने घर जा रहा था। उस वक़्त रास्ते में देखा कि सरोजभाभी एक्टिवा लेके कही जा रही थी। मैंने देखा कि वो अकेले ही जा रही है कोई भी उनके साथ नही है। तब मैं भी अपना रास्ता मोड़कर उनके पीछे पीछे गया। सरोजभाभी आगे जाके एक दुकान पे अपना एक्टिवा खड़ा करके उस दुकान में चली गई। मैं वहाँ सरोजभाभी के एक्टिवा के पास जाके खड़ा हो गया और उनके आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी ही देरमें वो दुकान से कुछ सामान खरीद कर वापस आ रही थी। मैं वहाँ उनके एक्टिवा के ठीक पास में ही खड़ा था। फिर सरोजभाभीने अपना सामान लेके वापस अपने  एक्टिवा पर आ रही थी तब उनकी नजर मुझ पर पड़ी, वो जानती थी कि मैं उनके ही फ्लैट में रहता हूं। मैं भी उनके सामने ही देख रहा था। सरोजभाभीने अपना सामान एक्टिवा पर रख दिया और एक्टिवा चालू कर के उस पर बैठ गई, उस वक्त दौरान उनकी नजर मुझ पर गई और बोली, "बैठना है पीछे?"
मैं - हाँ, आप घर जा रहे हो?
सरोजभाभी - हाँ, बैठ जाओ पीछे
मैं तुरंत ही सरोजभाभी के पीछे बैठ गया। फिर उन्होंने एक्टिवा को यूटर्न मारके घर के ओर ले लिया। रास्तेमें...
मैं - आराम से भाभी, मैं पीछे पूरा हील रहा हूं (सरोजभाभी एक्टिवा फ़ास्ट चला रही थी इस लिए)
सरोजभाभी - हा हा हा.. जो भी मेरे पीछे बैठता है सब यही कहते है।
मैं - थोड़ा आराम से चलाए भाभी।
फिर सरोजभाभीने स्पीड कम कर दी। और थोडीही देर में हम घर पहोंच गए। तो यह थी मेरी, सरोजभाभी के साथ पहेली सवारी।
दूसरी बार मैं सरोजभाभी के पीछे तब बैठा था जब वो शब्जी मार्केट में मिली थी। उस समय हुआ यूं कि,...

     रविवार का दिन था, दिन भी काफी अच्छा था। मैं अपने घर के लिए शब्जी लेने के लिए शब्जी मार्केट गया था। वहाँ पे मैंने देखा कि सरोजभाभी वही पहले से ही मौजूद थी। मैं समज गया कि वो इतनी दूर पैदल चलके तो आयी नही होगी जरूर यहाँ तक वो अपने एक्टिवा पे ही आयी होगी। और मेरा यह अंदाजा बिल्कुल सही था, जब मैंने उनकी कमर में एक्टिवा की चाबी लगाई हुई देखी। मैं तुरंत ही सरोजभाभी के साथ शब्जी खरीद ने के लिए चला गया। वो मुजे देखकर मुस्कुराई ओर बोली,
सरोजभाभी - क्यों हीरो, सब्जी लेने आये हो?
मैं - हा, लेकिन मुजे पता नही चलता है की कैसी सब्जी लेनी चाहिए, आप मेरी मदद करोगे?
सरोजभाभी - बिलकुल करूँगी, चलो मेरे साथ आओ।
फिर मैं ओर सरोजभाभी ने साथ मिलकर सब्जी खरीदी। जब वापस जाने का टाइम हुआ तो...
मैं - थैंक यू भाभी, आज अपने मेरी बहोत मदद की।
सरोजभाभी - अरे उसमे कोई बात नही। चलो मैं अब निकलती हु, मुजे घर जाके ये सब्जी भी तो पकानी है।
फिर वह अपने एक्टिवा की तरफ निकल गई। मैं भी भाभी के पीछे पीछे जाने लगा। सरोजभाभी ने अपना सामान एक्टिवा पे लगा दिया और जाने के लिए तैयार हो गई, उतने मैं में सरोजभाभी के पास पहोंच गया। और...
मैं - भाभी मुझेभी बिठा दो ना, मुजे भी घर ही जाना है।
सरोजभाभी - बैठ जाओ, मैं तुम्हे घर तक छोड़ देती हूं।
मैं तुरंत ही सरोजभाभी के पीछे बैठ गया। जब भाभी ने एक्टिवा चलना शुरू किया तो जोर से जटका लगा।
मैं - भाभी आराम से चलना, आप बहोत फ़ास्ट चलते हो। मुजे पता है के आपकी ड्राइविंग बहोत अच्छी है। लेकिन जब भी मैं आपके पीछे बैठता हु तो मैं पूरा हिल जाता हूं।
सरोजभाभी - हा हा हा... ठीक है मैं आराम से चलूंगी, तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हे ठीक ठाक घर तक पहुँचा दूंगी। आराम से बैठो।

उतने में ही सरोजभाभी ने जोर से ब्रेक लगाई और मैं पूरा सरोजभाभी के कन्धे पर हाथ रख कर चिपक गया। यह पल मेरे लिए बहोत ही आनंद का पल था। मैं पूरे रास्ते पर अपने हाथ सरोजभाभी के कन्धे पर ही रखे थे। सरोजभाभी भी मुजे कुछ नही कहती थी। शायद सरोजभाभी को भी मेरा छूना अच्छा लगता होगा। जब हम घर पहोंचे तब सरोजभाभीने अपने कन्धे को जरा सा इसरा किया, मैं समझ गया था कि सरोजभाभी अब मुजे अपने कन्धे पर से हाथ हटाने के लिए बोल रही है। क्योंकि अगर कोई हमे ऐसे देख ले तो हमे गलत समझ ना ले। फिर सरोजभाभी ने मुजे घर तक छोड़ दिया और वो मेरे सामने हँस कर बोली आज मजा आ गया ना, चलो फिर मिलेंगे, मैं अब चलती हु, गुड बाय, अपना ख्याल रखना। मैं भी भाभीको गुड बाय कहके अपने घर चला गया। वाकई में यह दिन मेरे लिए बहोत ही खास बन गया था। मैं बहोत ही खुश था।

3 comments:

  1. This post is aweosme and I like it. Thank you so much for sharing it. Lion Quotes

    ReplyDelete
  2. Very nice post. If you want to read about biographies ofbollywood, television, political, sports, and cricket celebrities then visit my blog by clicking on the links.

    ReplyDelete

Popular Posts

Upcoming Post

1. Bullet - Empowerment Woman
2. Villege Girl Riding Bike
3. Bike Riding With My Wife